Evanescence
Monday, November 5, 2012
दस्तख़त
ना आग हूँ ना राख हूँ
न कोई अनदेखा सा ख़्वाब हूँ
ना ज़मीं हूँ ना फलक हूँ
बस एक अनसुनी आवाज़ हूँ
ज़रा ठहरो समझो मुझे
इक अनसुलझा सा राज़ हूँ
पर जो भी मिला है उसने कहा है
यारों मैं लाजवाब हूँ .
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